वसूली

पिछले दिनो सामान्य डाक से पुलिस विभाग का एक पत्र मिला विगत 8 नवंम्बऐर को आपने सुपेला चौक पर यातायात सिग्न ल सूट किया, इसलिऐ यातायात कार्यालय में उपस्थित होकर दो सौ रूपये बतौर जुर्माना जमा करे, मुझे काफी आश्चार्य हुआ क्योाकी मैं ज्याहदातर कार से ही आना जाना करता हॅू , बाइक बिना हेलमेट, आवश्यहक पेपर और 40 से ज्यातदा की स्पीरड पर चलाता नही हूं ,खैर संभव हैं कि स्टा फ में किसी ने मेरी बाइक इस्तोमाल करते हुऐ ऐसा दुस्सातहस किया हो, मैं यातायात कार्यालय चले गया फाइन पटाने पर हवलदार ने दो सौ बीस रूपये मांगे मैंने दो सौ रूपये बतौर लिखे होने की बात की तो साहब कुछ झल्ला ऐ और डाक खर्च की बात करने लगे , मैंने केवल दस रूपये चिल्ल हर होने की बात कह कर लिफाफे पर लगी पांच रूपये की टिकट दिखाई , जिसे देखकर बगल में सिगरेट का कस मारकर अपनी थकान उतार रहा सिपाही हरकत में आ गया और कहने लगा साहब जरूरी नही हैं, आप केवल दो सौ रूपये ही दे दीजिऐ, दरअसल यहां सुबह से बैठे बैठे कमर दर्द दे देती हैं, और आदत खडे रहने की हैं चाय नाश्ता भी निकलता रहता हैं, अब तो शाम को घर सब्जीे ले जाने का जुगाड नही जम रहा हैं हमने दस रूपये बढा ही दिये, इसी बीच एक्‍ हल्कीी सी कमीज हाफ पेंट पहने एक छोटा सा लडका हाथ में केतली व प्लािस्टिक गिलास लिऐ चाय चाय करता आ गया हमने कहा पचास के छूटटे है वो तपाक से बोल पडा चाय पियोगे तो दूगा हमने औपचारिकता में सबके लिऐ चाय ले ही ली , बैठिये साहब , आप कहां सिग्नकल तोड दिये मैने हॅस कर कहा पता नही यार, लगता हैं आपके किसी मित्र ने टार्गेट पुरा करने के चक्कमर में लिख दिया होगा वह मुस्कुाराने लगा, ऐसे किसी यातायात जवान से आपकी दुश्मखनी हैं क्या ...... दूसरा बडबडाया सब ऐसा ही कहते हैं, मैंने चाय पीते पीते बात आगे बढाई दिन भर में कितने फंस जाते हैं, वह बोल पडा अरे साहब अगर कडाई से पालन किया जाऐ तो सैकडो पकडाऐ पर क्याज करे अब हर कोई तो नेता हैं इस प्रदेश की तो हर चार गाडी के बाद नम्बोर प्लेकट पर बी;जे;पी का झण्डाा चिपका रहता हैं और तो और शहर की तमाम खटारा गाडीयो पर भी वी आई पी, पत्रकार और पुलिस लिखा रहता हैं , हर आदमी बडे साहब लोगो का फोन लगाने की धमकी देता हैं, पत्रकारो की जात बिरादरी समझ नही आती, हमने दंबग किस्मम के लोगो से इनके डरने का और अन्यर राज्योद के वहानो पर उनके झपटने का सवाल दागा तो उन्होोने बडे सीधे ढग से हफते की बात समझा दी अरे महोदय उपर तक सेटिग होती हैं, साहब से लेकर मंत्री संत्री तक बंधा बंधाया पहुचता हैं लोकल टैम्पोर ट्रक ट्रांसर्पोट यूनियन सब नियमित रूप से पहुचाते हैं,हमारे एक मित्र ने एक लडके को नेहरू नगर चौक पर डांट डपट दिया तो आज भी लाईन अटैच हैं वह लडका संसदीय सचिव का बेटा था, राज्यट के बाहर वाले ही वहान से कुछ जुगाड हो पाता हैं, हमने आबादी के बीच गुजर रही सडक की खामिया गिनाई और कहा की यार आपका विभाग भी वसूली विभाग ही बनकर रह गया हैं एक भी सिपाही व्यखवस्थाक बनाने के लिऐ काम नही करता, तो सिपाही असहाय होकर कहने लगा, उसने अपनी बुद्विमत्ता का परिचय देते हुऐ बेबाकी से कह ही दिया .;अरे राजनीति ही ऐसी हैं अब सबसे ज्याहदा यातायात दबाब झैल रहे सुपेला चौक को ही देखीऐ न यहां के ट्रैफिक सिग्न ल को ही ढक कर मुख्य मंत्री और महापौर का विज्ञापन लगा दिया गया हैं अब लाखो रूपये देकर लगे ट्रैफिक सिग्नबल की क्याह उपयोगिता रह जाती हैं, इतना वसूली तो कर रहे हैं, पर न सिपाही बढाऐ जा रहे हैं और न चौक चौराहो की परीधी बढाई जा रही हैं, बारह घण्टेै की डियूटी हैं मंत्री संत्री के दौरो पर और परेशानी, हमने उठते हुऐ कह दिया चले भाई जाने कब फिर फंस जाऐ, इस बीच पैर हिलाते हुऐ उचे टेबल पर चढ कर बैठा चाय वाला बालक मुस्कुईरा हुऐ कहने लगा सडक पर शान से चलिऐ बस पीछे की नम्बचर प्लेलट हटा दीजिऐ ...................................

सतीश कुमार चौहान , भिलाई


Comments

Popular posts from this blog

इमोशनल अत्‍याचार