........ ल जीताना हे हमर पारा में दारू दुकान खुलाना हे...,
हमारे शहर के गली नाली की साफ सफाई के लिऐ होने वाले निकाय चुनाव में ........ ल जीताना हे हमर पारा में दारू दुकान खुलाना हे..., इस तरह के नारे आम हैं, शहर में इस स्तडर के चुनाव का भी काफी शोर हैं तमाम मंत्री संत्री भी खीस निपोरे हाथ पसारे घूम रहे हैं , प्रदेश के मुखिया भी चेता कर चले गऐ कि मुझे, मेरे दल के पार्षद और महापौर मिले तब ही आपके लिऐ विकास करूगा नही तो ................... मेरे व्य वसायिक क्षेत्र में चुनावी आहट के साथ ही गहमागहमी का शबाब महसूस होने लगा था, हर दो मिनट में ढोल नगाडो के साथ कुछ लोगो का जथ्थाे झण्डाह लहराते चिल्लामते घूम रहा हैं, जगह जगह हाथ जोडे प्रत्या शीयो के बडे बडे कटआउट लगे हैं, मीडिया के दफतरो में भैयया पान , गुटका, शाम को बैठते हैं, कोर्इ बतला रहा , कोई जतला रहा तो कोई फुस्स फुसा रहा हैं,फलैक्सट डिजार्इन बनाने वाले के यहां लोग लाईन लगाऐ खडे हैं फलैक्स ,आपसेट,लैडल मशीने तो रात दिन चल चल कर हांफ रही हैं,बच्चेह बच्चेक हाथो में हैण्डल बिल लिऐ बाटते हुऐ घुम रहे है, राजनीति के दलाल पौव्वाइ, पुडी, पैसा और पैट्रोल के हिसाब बनाने में मस्त हैं अर्थात भीडतंत्र का महाकुभ