अखबार परिवार . विज्ञापन मैनेजर पुत्र और पत्रकार पुत्री .
घर पर लंच टाइम में एक फोन आया, चौहान जी नमस्कार , सर दैनिक ................से बोल रहा हूं, सर कल एक ....................परिशिष्ट निकाल रहे थे, बास, कह रहे हैं आपका से छोटा सा विज्ञापन लगा लगाने को इसी जानकारी को देने के लिऐ फोन किया था, मैंने उसकी बात को नकारते हुऐ साफ शब्दो में कहा कि मेरा ऐसी परिशिष्ट से क्या लेना देना, पर वह बडे आत्मीयता से कहने लगा सर बस क्वाटर पेज का लगा रहा हूं जो बत्तीस हजार रुपये का ही हैं, आपके लिऐ कौन सी बडी बात हैं, मैं सुनते ही सकपका गया 32000/... मैने कहा से तो मेरा साल भर का भी बजट नही हैं तो वह बीच का रास्ता निकालते हुऐ बास को मैनेज करने की दुहाई देते हूऐ 16000/ सेमी क्वाटर पेज की बात करने लगा, चूंकि मैं खाने की टेबल पर था, मैंने कडे शब्दो में ना करते हूऐ फोन बंद कर दिया करीब 40 मिनट बाद फिर उसी का फोन आया, सर बास आपसे बात करना चाहते हैं, और मेरे कुछ कहने से पहले ही, सर नमस्ते ,बालक कह रहा था आप नाराज हैं कुछ गलती हो गई क्या, बताइऐ, मैने कहा यार ऐसा कुछ नही हैं पर न तो मेरा ऐसा कोई व्यवसाय है जिसमें विज्ञापन की जरूरत हो और न मेरी रूच