बैग/झोला छाप डाक्टर
बैग/झोला छाप डाक्टर देश की तमाम सरकारी योजनाओ की बात करते हुऐ जिस तरह जुबान गंदी महसूस होती हैं वही हालात अब बुनियादी बातो पर भी होने लगी हैं, गुजरात के सरकारी अस्पताल में दो नवजात इन्कुबेटर शारीरिक तापमान बनाऐ रखने वाले उपकरण में जलकर राख हो गऐ, हाल में ही चार बच्चे सरकारी अस्पताल में वैक्सीन लगाते ही ठंडे पड गऐ, इन मासूम नादान बच्चो के परिवारो के अलावा सब भूल गऐ, पैरा मेडिकल स्टाफ को कोस सरकार ही नही हम आप सब चुप ....ये तो रोज की बात हैं पर हम तो बेहतर इलाज ले ही रहे है, बेहतर अर्थात पांच सितारा...... पिछले दिनो हमारे औसत दर्जे के शहर में स्वाईन फलू नाम की मीडियाई चिल्लपौ मच गई, शहर के एक मीडियापरस्त खाटी किस्म के पुराने दाउ व राजनैतिक गिरोहबंदी से चल रहे अस्पताल में मरीज की भर्ती होने से लेकर इलाज प्रक्रिया को मीडिया द्वारा आवश्यक अनावश्यक तामझाम के साथ नियमो के खिलाफ मय फोटो दिखाया पढाया जाने लगा ,इलाज से जुडे मरीज को मिल रहे स्वास्थ लाभ की राम कथा सुनाते रहे और मरीज राम को प्यारा हो गया, अब इलाज से हीरो बन रहे डाक्टर / अस्पताल ही नही पुरी सरकार कटघरे में