वाशबेशिन बनाम मेरा शहर
हमारे नऐ घर के प्रवेश उत्सव की रंगोली भी नही हटी थी कि विकास प्राधिकरण के लोगो ने न घर के दरवाजे पर ही नाली के नाम पर भारी गउडा खोद दिया,पदस्थ इन्जीनियर से बात की तो उन्होने पुरे नियम गिना डाले साथ ही सरकारी मजबूरी भी जाहिर करते हुऐ अन्त में एहसान जताते हुऐ पुनं पुरा बनवा भी दिया, फिर तो साहब से नियमित हाय हैलो भी होने लगी, एक दिन साहब कुछ कागज पत्तर ले कर आऐ और औपचारिकता के तहत सन्तोषस्पद कार्यसम्पन्न के प्रमाण पत्र में दस्तखत करने को कहने लगे हमने साहब के साथ चाय पीते पीते पढना शुरू किया नाली की लम्बाई, गहराई, पुलिया की संख्या, गुणवत्ता सब गोलमाल साफ दिख रहा था, काफी भष्ट्राचार की बू आ रही थी,, हम एहसान में दबे कुछ टोका टिप्पणी करते हुऐ दस्तखत कर ही दिये, यही साहब लगभग सत्रह साल बाद कल शाम होम डेकोर के यहां मिल गऐ, समय के साथ साहब में बडे अफसरी का रूतबा झलक रहा था साहब की सरकारी गाडी मयचालक बाहर खडी थी, बातचीत से पता चला साहब अपने घर के लिऐ वाशबेशिन लेने आऐ हैं, पानी के अलावा ठंडा भी पी चुके हैं पर वाशबेशिन नही जम रहा हैं, ,साईज डिजाईन, रंग, गहराई, ब्राड,दाम और फ