सीता : शूर्पनखा बदायू में शौच के लिऐ गई जुडवां बहनो के रेप के बाद खेत के पेड पर लटकाने कि घटना पर जनाक्रोश में आश्चर्यजनक ठंडक देखने को मिली, मीडिया भी अखिलेश सरकार को इस तरह कोस रहा था जैसे फेल बच्चे के अभिभावक स्कूल प्रशासन को कोसते हैं, जिस तरह दोनो बच्चीया आर्थिक रूप से कमजोर, शहरी हवा से दूर,जीवन की बुनियादी अधिकार से वंचित रहते हुऐ पुरूषसत्ता का शिकार हो गई, निसंदेह वह हमारी समूचे सवा सौ करोड के लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा हैं जब हमारे पास प्रजातांत्रिक सरकार है , पुलिस है , कानून व्यवस्था है , विश्व की सबसे ज्यादा अनुभवी और गौरवशाली सभ्यता है , सबसे बडा और परिपक्व संविधान है , हम हजारो करोड खर्च करके सरकार बनाते हैं और वह इस तरह कि घटना की वजह से निकम्मी और बेकार दिख रही हैं, लोगो की बुनियादी जरूरते मसलन स्वास्थ, शिक्षा, रोजगार सडक शौचालय तक नही दे सकती हैं, राजनैतिक की राजशाही सोच ऐसी की सायकल लेपटाप, सस्ते चावल, मोबाइल बाटकर अपना पालतू वोटर बना रहे हैं, क्या ये हमारे प्रसाशनिक ढिलाई का नमूना नही कि जिस वर्दी को देख कर पुरा गांव सहम जाता था आज वही वर्दी
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Showing posts from June, 2014
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गंगा तू बुलाती ही क्यों हैं ........... ? गंगा में नहाने के लिए लाखों लाख लोग आते हैं , मान्यता हैं कि गंगा में इुबकी लगाऐ बिना तो स्वर्ग में प्रवेश ही नही मिलेगा हैं, यहां अमीर गरीब का भी अनोखा मनोविज्ञान काम करता हैं, एक तबका अपने स्तर पर तो बडे शान शौकत से रहता हैं गली मोहल्लो के नाली नालो को देखते ही नाक सिकोड लेता हैं रूमाल से शक्ल छुपा लेता हैं पर गंगा के पास आते ही ये जानते हुऐ भी की पुरा किया धरा मल मुर्दा मटेरियल इसी गंगा में हैं, फिर भी बडे उत्साह के साथ एक नही सात सात बार डुबकी लगाते हुऐ यह मान लेते है कि तमाम पाप बसा धुल ही गऐ , इसी तरह अपेक्षाकृत आर्थिक रूप से कमजोर नाली नालो के किनारे गली बस्ती में रहने वाले भी उसी उत्साह और आस्था से डुबकी लगा कर महसूस करते है की उसने तो पुण्य पा ही लिया, बडी श्रद्वा से बोतल में भर कर घर ले जाते हैं और पुरे घर में छिटक छिटक कर महसूस करते है कि पतित पावन गंगा घर आ गई , चन्नार्मत में भी घोल घोल कर पीते हैं जबकी इसी पहले वर्ग के लोगो ने पाप खुद को तो धौया ही साथ ही तमाम अपनी व्यवसायिक गंदगी को भी इसी गंगा में बहा कर तिजो