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Showing posts from August, 2011

सर आप तो आप ही हैं .....

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भाजपाइयों द्वारा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी के डमी को संस्कारित करने के लिए उन्हें शिशु मंदिर में दाखिले का नाटक किया गया, उसी चौक पर दूसरे दिन कांग्रेसियों ने बीच चौराहे पर राजनीति की पाठशाला खोल दी। इस पाठशाला में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के डमी को बदजुबान और मंदबुद्धि करार देते हुए न सिर्फ उन्हें राजनीति की पाठशाला से टीसी देकर स्कूल से निकालने का ड्रामा हुआ, बल्कि गडकरी को मानसिक अस्पताल में दाखिला देने के लिए उनकी मां को सलाह भी दी गई। साठ के दशक में बनी एक फिल्म के सीन में जवान निकम्मेा बेटे ने माता पिता को यह कहा था कि पैदा करने में तो मजा आया अब खिलाने में क्योि जान निकल रही हैं, समाज को यह डायलाग काफी नागवार गुजरा था काफी हो हल्लाा हुआ था,फिल्मो निर्माता ने क्षमा मांगते हुऐ यह सीन फिल्मम से हटा दिया था, आज हम रैंप्पह पर कम से कम कपडे पहनने वाली माडल के बचे कपडेा का भी फिसल जाना और नेताओ की जुबान फिसल जाना एक ही तरह कारनामा हैं, जो बेशक मीडिया के लिऐ मसाला तो हैं पर इन घटनाओ के देख / सुन कर बडी बेशर्मी महसूस होती है, हम किन लोगो को सवा सौ करोड आबादी क

अपनी ही दुकान

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देहरादून से मंसूरी जाते हुऐ काफी देर बाद बस के रूकते ही चाय व नाश्तेे की तलब में लगभग बस की हर सवारी नीचे उतर कर टाट की होटलनुमा चाय की दुकान के सामने सिमट गई , जहां बडी भटटी पर छोटी छोटी केतली में चालू और महाराजा के नाम से दो दाम की चाय बन रही थी ,सामने अलग अलग कांच की बरनीयो में बिस्कुट, चाकलेट, तोश, ब्रेड रखे थे , आठ नौ साल का एक स्मा इलिग फेश का लडका पैंबद लगी निकर हल्की महीन कमीज पहने ठंड से बेखौफ अपनी उगलीयो में चार चार गिलास गर्म चाय लिऐ दोड दोड कर सर्व कर रहा था और उतनी ही तेजी से खाली हो रहे गिलास को टंकी के पानी में खंगाल भी देता था, लकडी की पटिया ही टेबल कुर्सी थे , इस होटल का वेटर, स्प लायर , नौकर सब कुछ यही लडका था, व चाय बनाने वाला शक्सद मालिक, गा्हक किसी टूरिस्ट बस के रूकने से ही आते थे बाकी कुछ खास आबादी का क्षेत्र तो था नही , बस का हार्न बजते ही जल्दू भीड छट गई, हमने भी चाय पीने के बाद उसके हाथ रूपये रख दिऐ, वह पूरी फूर्ति से चन्दज मिनटो कुछ रेजगारी चिल्हर लेकर वापस आ गया, हमने शहरी होटल के टिप्सर की दर्ज पर एक सिक्को उसकी ओर बढा दिया, वह पहले तो सकपकाया फिर कनखियो स