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Showing posts from May 22, 2012

कभी नऐ पाकेट में दे दें तुमको चीज पुरानी....

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पिछले दिनो बाजार से देख समझ कर लेने के बावजूद घर पर पहुचते ही श्रीमति ने अंगूर में खांमीया निकाल दी दरअसल हमने खरीदे तो कैप्‍सूल आकार के थे , पर घर पर प्‍लास्टिक खोलकर देखने पर कुछ तो मनमाफिक थे बाकी छोटे छोटे गंदे सडे दाने, अपनी इस करतूत पर हमें विश्‍वास नही हो रहा था और फल वाले की बाजीगरी गले नही उतर रही थी, हम दूसरे दिन फिर वही पहुंचें और मासूम फल वाले की बाजीगरी के आड में चल रहा बाजार का शातिर कारोबार देखकर दंग रह गऐ दरअसल वह काले रंग की प्‍लास्टिक में पहले ही छोटे गंदे सडे दाने, डाल कर रखता था फिर उसी में हमारी आपकी पंसद के कुछ अंगूर डाल के टिका देता था, इसी तरह ऐ बार हमारे प‍‍रीचित आम वाले ने तमाम आम सजा कर रखने के बाद भी देने से यह कह कर इन्‍कार कर दिया की बापकी लायक नही हैं केमिकल से पकाये गऐ हैं, जबकी चह बेच रहा था, खैर ये तो सच हैं कि व्‍यवसाय पांच्‍ की चीज को छ में बेचना नही रहा अब बाजार अब पांच से पचास करने का नाम हो गया हैं, फिर ये तो धंधा हैं भाई बात, दर्जन भर केले / अण्‍डे घर पर ग्‍यारह हो जाते हैं,किलो का तीन पाव, मूंगफली के पेस्‍ट से काजू बन जाना डोरा की अण्‍डरविय