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Showing posts from May 8, 2011

जेब साथ न दे तो अन्ना् ........

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लोकपाल बिल के नाम पर हुई मुहिम से कुछ हो ना हो पर इस की परिभाषा पर चिन्तनन तो जरूर हो रहा हैं और हर कोई अपनी कमीज को झक सफेद कह कर दूसरे में दाग खोज रहा, कुछ महाभष्टाैचारी तो हजारे फैन क्लेब भी बना रहे हैं दरअसल मीडियापरस्त लोगो के लिेऐ अपनी पहचान को मान्यहता देने के लिऐ अन्ना एक सरल माध्यम बन गया हैं, अन्नाो के साथ के लोगो पर जो कुछ कहा जा रहा हैं वह तथ्योन से अलग नही हैं, जाहिर सी बात हैं कि अन्ना टीम का सदस्यस बन कर कोई अपने को पाक साफ नही कह सकता ,ये अलग बात हैं की इस टीम पर उगली उठाने से पहले हर कोई अपनी करतूतो से बचने का साहस नही जुटा पा रहा हैं, जन्तउर मन्ततर की भीड ये जरूर कह रही थी कि भष्टाेचार हैं, पर कोई एक्‍ भी अपने को भष्टािचारी बताने का साहस न जुटा सका और यही हाल हजारे कंपनी का था वह भी किसी एक को भी भष्टानचारी कहने का साहस न दिखा सकी, फिर ये सवाल साफ है कि कौन हैं जिसके खिलाफ से रस्माअदायगी हो रही हैं, सब्जीत वाले से कांटा अपने तरफ झुका कर खरीदारी करने व समय और ओहदे की बात कह कर शार्टकट और सुविधाशुल्कअ जैसे रास्तोक से काम निकालने वाले क्या अपेक्षाकंत कमजोर लोगो के लिऐ भष