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! नारी क्यों बेचारी !

! नारी क्यों बेचारी ! उसको नही देखा हमने कभी,पर इसकी जरुरत क्या होगी, ऐ मां तेरी सूरत से भली ,भगवान की सूरत क्या होगी, महिलाओ पर तमाम कसीदे पढनेकी औपचारिकता को इस पंक्ति में समेटते हुऐ मैं सीधे नारी की व्यथा कथा के आकडो पर बात करुगा.... दुनिया के 1.3 अरब लोग नितान्त गरीब हैं इनमे सत्तर प्रतिशत महिलाऐ है,जबकी यही महिलाऐ दुनिया के कामकाज के कुल घण्टो में दो तिहाई घण्टो काम करती हैं,और दुनिया की कुल आय से मिलता हैं इन्हे दसवा हिस्सा..,अमत्र्य सेन के क्षमता और कार्य या फिर हाइजर के आय और व्यय अर्थात विश्व के हर सिध्दांत में यह यह अगर मुनाफे की बात है तो दुनिया इनके जान के पीछे क्यो पडी हैं...! देश में पनपी चन्द सुन्दरियो,टी.वी.पर बडे बडे आलीशान बंगलो चमचमाती कारो के साथ हील वाली सैंडिल खटखटाती बांस सी लम्बी नजरे तरेरती माडलो को या उगलियो में गिनी जा सकने वाली प्रतिप्ठित कंंपनी के सी.इ्र्र.ओ.या फिर कुछऐक राज्यपाल या मंत्री मुख्यमंत्री का महिला होना समूचे भारतीय नारी का प्रतिक मानकर आत्ममुग्धता तो कतई उचित नही, भारत के नक्शे मे केरल एक ऐसा राज्य है जहां निर्धनता होने के बाव