अपनी ही दुकान

बस का हार्न बजते ही जल्दू भीड छट गई, हमने भी चाय पीने के बाद उसके हाथ रूपये रख दिऐ, वह पूरी फूर्ति से चन्दज मिनटो कुछ रेजगारी चिल्हर लेकर वापस आ गया, हमने शहरी होटल के टिप्सर की दर्ज पर एक सिक्को उसकी ओर बढा दिया, वह पहले तो सकपकाया फिर कनखियो से मालिक की तरफ देखने हुऐ आनाकानी करने लगा, हमारे अधिकारपूर्ण आग्रह व मालिक की सहमति से उसने सिक्काआ लिया और दोड कर मालिक को देते हुऐ अपनी ही दुकान से 4; 6 बिस्कुट खरीद कर गर्म भटटी के पास बैठ कर खाने लगा.............................
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