नौटकी का योग
बाबा जी के पास बेशक कुछ भीड हैं उसके कुछ और भी कारण हैं पर इस भीड को जनआधार बनाकर जननायक बनने के लिऐ देश की निर्वाचन जैसी कुछ व्यैवस्थाकऐ है, हमारा संवैधानिक ढांचा प्रजातंत्र पर आधरित हैं और इसी के तहत न देश की कमान मनमोहन जी को दी ग्ईन हैं, दिग्गीध राजा सही कह रहे हैं अगर सरकारी दफतर में अपने कार्य के लिऐ ही सही अगर उची आवाज में बात करना सरकारी कार्यो में व्यावधान का अपराध दर्ज हो सकता हैं तो इस तरह योग शिविर के नाम पर सरकार को ललकारना ............... दरअसल हर दुस्सा हस को सह लेने वाले मनमोहन जी कमजोर या सीधे मुखिया कहे जाते थे, रामलीला मैदान की घटना इस भम्र को भी तोड ही दिया, इन बाबा जी द्वारा भीडतंत्र को लोकतंत्र का जामा पहनाने का यह प्रयास प्रजातंत्र के लिऐ आत्मीघाती कदम ही हैं, बाबा के साथ सवा सौ करोड में वे पांच दस लाख लोग हैं जो अध्याात्मम और अंधविश्वास में अंतर ही नही समझते क्याथ उनके दम पर हम अपने देश की ही सरकार को ललकारेगे तो विदेश के लोग तो आसानी से हमारी ऐसी की तैसी कर देगें, राम देव जी अगर योग को घर घर तक पहुचाने की बात करते हैं तो भष्ट्राऐचार रहित संस्का र की बाते भी घर घर पहुचा सकते थे पर ऐसे योगीयो की भी तो सुबह से ही तमाम चैनलो पर भी उपदेश देने के लिऐ कतार लगी रहती हैं और इनकी करतूते भी उन्हीी चैनलो पर चीख चीख कर बताई जाती हैं,
राम देव जी महज डेढ दशक में सायकल से जेट पर पहुच गऐ सलाम हैं ऐसी मेहनत को और देश को जहां के मजदूर हाडतोड मेहनत के बाद भी दिन भर में बीस रूपये भी नहीक कमा सकते, बाबा जी दो समय ही भेाजन में फल खाने की बात करके तो जाने क्यां बताना चाहते हैं, जबकी दिल्ली के रामलीला मैदान में पांच सितारा टेण्टक लगाकर ग्यारह हजार चार सौ करोड के योगी के सहयोगी दिल्लीा के अलग अलग स्थ लो पर चंदे में पांच दस लाख रकम ये कह ले रहे हैं कि बाबाजी चाहते हैं अनशन कर पुरा खर्च दिल्लीग वालो से ही लेना हैं , धन्य हैं देने वाले भी____, बाबा जी का यह मंच भी भीड जुटाने के लिऐ राजनैतिक सामाजिक और धार्मिक लोगो का वैसा ही प्रयोग कर रहे हैं ठीक जैसा भा ज पा ने अयोध्यास का विवादस्पोद ढाचा गिराने में किया था, रात तक मुझे कोई ख्री द नही सकता कहने वाले बाबा की सेटिंग भी खुल गई, मेरे अनशन को कोई रोक नही सकता बाबा किस तरह महिलाओ के वस्त्रि में छिप कर भाग रहे थे ये भी जगजाहिर हैं, उदासीन अखाडे के महंत की जमीन पर कब्जाह करने का प्रकरण आज भी लंबित हैं पंताजली का कारर्पोरेट बिजनेस करने वाले बाबा जी की दवाईयो में हड्रडी विदेशो में इनकी जडी बुटीयो से बनने वाली दवाइयो को नकारा कहा जाना क्या बाबा को कठघरे में नही खडे करता जब देश आंतक व नक्सीलीयो की चपेट में हैं इस तरह भीड इकठा कर बखान मारना कोई अनहोनी हो जाऐ तो .... रामदेव जी जिन विषयो पर बाते कर रहे हैं किताबो और भाषाणो तो अचछी लगती हैं अन्ना. हजारे भी रामदेव गिरोह की दिशा में जा रहे हैं दरअसल सब कैमरे का कमाल हैं कैमरे की पीछे ये राजनेताओ से भी ज्याेदा बेशर्म व भष्टश लग रहे हैं राजनेताओ को प्रजातंत्र ने कम से कम चिन्हित तो किया हैं ये तो बेकडोर के नमूने हैं .....खैर पब्लिक सब खेल समझ रही हैं .....सतीश कुमार चौहान भिलाई, satishkumarchouhan@blogspot.com
राम देव जी महज डेढ दशक में सायकल से जेट पर पहुच गऐ सलाम हैं ऐसी मेहनत को और देश को जहां के मजदूर हाडतोड मेहनत के बाद भी दिन भर में बीस रूपये भी नहीक कमा सकते, बाबा जी दो समय ही भेाजन में फल खाने की बात करके तो जाने क्यां बताना चाहते हैं, जबकी दिल्ली के रामलीला मैदान में पांच सितारा टेण्टक लगाकर ग्यारह हजार चार सौ करोड के योगी के सहयोगी दिल्लीा के अलग अलग स्थ लो पर चंदे में पांच दस लाख रकम ये कह ले रहे हैं कि बाबाजी चाहते हैं अनशन कर पुरा खर्च दिल्लीग वालो से ही लेना हैं , धन्य हैं देने वाले भी____, बाबा जी का यह मंच भी भीड जुटाने के लिऐ राजनैतिक सामाजिक और धार्मिक लोगो का वैसा ही प्रयोग कर रहे हैं ठीक जैसा भा ज पा ने अयोध्यास का विवादस्पोद ढाचा गिराने में किया था, रात तक मुझे कोई ख्री द नही सकता कहने वाले बाबा की सेटिंग भी खुल गई, मेरे अनशन को कोई रोक नही सकता बाबा किस तरह महिलाओ के वस्त्रि में छिप कर भाग रहे थे ये भी जगजाहिर हैं, उदासीन अखाडे के महंत की जमीन पर कब्जाह करने का प्रकरण आज भी लंबित हैं पंताजली का कारर्पोरेट बिजनेस करने वाले बाबा जी की दवाईयो में हड्रडी विदेशो में इनकी जडी बुटीयो से बनने वाली दवाइयो को नकारा कहा जाना क्या बाबा को कठघरे में नही खडे करता जब देश आंतक व नक्सीलीयो की चपेट में हैं इस तरह भीड इकठा कर बखान मारना कोई अनहोनी हो जाऐ तो .... रामदेव जी जिन विषयो पर बाते कर रहे हैं किताबो और भाषाणो तो अचछी लगती हैं अन्ना. हजारे भी रामदेव गिरोह की दिशा में जा रहे हैं दरअसल सब कैमरे का कमाल हैं कैमरे की पीछे ये राजनेताओ से भी ज्याेदा बेशर्म व भष्टश लग रहे हैं राजनेताओ को प्रजातंत्र ने कम से कम चिन्हित तो किया हैं ये तो बेकडोर के नमूने हैं .....खैर पब्लिक सब खेल समझ रही हैं .....सतीश कुमार चौहान भिलाई, satishkumarchouhan@blogspot.com
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