बिना मरे स्वर्ग कहॉ.....
कार सर्विसिंग के लिऐ हुण्डई के वर्कशाप गऐ तो पता चला नीचे किसी पत्थर की मार से डारसल एक्सल का एलाईमेंट बिगडा हुआ हैं, टायर जल्दी खत्म हो जाऐगा, इसलिऐ बेहतर हैं कि बदलवा ले, वर्कशाप के सुपरवाइजर भी जो देकर कह रहा था , सर क्लेम ले लो आपको कुछ करना नही पडेगा सर्विसिंग के खर्च् में समान भी नया लग जाऐगा , हमने समय लगने की बात की तो किनारे के टेबल पर बैठे एक एजेन्ट किस्म के साहब ने कहा कि आप यहां आप केश पेमेन्ट कर गाडी कल शाम ले जाईऐ बाकी बीमा से तो चेक एक सप्ताह में आपको मिल ही जाऐगा, हमारे हां करते ही साहब ने चाय मंगाने के साथ साथ हमारी कार के पेपर भी फोटो कापी करवा लिऐ, रात को रास्ते में पडे एक बोल्डर टकराने की वजह से दुर्घटना की स्टोरी बनाते हुऐ क्लेम फार्म भी भर दिया गया, हमने दस्तखत् किये, कार हमें आफिस छोडने के लिऐ भेज दी गई, तीन चार घण्टे बाद इन्शेारेंस सर्वेयर का फोन आ गया पहले तो तमाम नियम की बाते कर क्लेम निरस्त करने की बाते की फिर साहब लेन देन पर उतर गऐ हमने उसकी बात को टाल देना दिया ,इधर हमारी कार को खोल दिया गया था दो दिन बाद दिवाली थी हमने कहा चलो ठीक हैं , खैर समय पर कार बन कर मिल गर्इ, 24000/ का बिल पेमेन्ट भी कर दिया, एजेंट साहब चाय पिलाते हुऐ फिर क्लेम की बात छेड दिये , साहब 5 दे दीजिऐ 15 तो क्लेम से मिल ही जाऐगे दस हजार का फायदा हैं, मुझे भी मुनाफे का सौदा जम गया मैने बात आगे बढाई तो साहब ने पहले पाच देने की बात रखी और कहा ये तो दस्तूर हैं मैने चार निकाल कर दे ही दिये ,
पद्रह दिन के बाद चेक मिलने की बाद पक्की हो गई , पर महीने बाद भी कुछ खबर नही आई तो हमने फोन मिलाया , जबाब मिला आपका काम हो गया हैं अपने आफिस के ही पास स्थित बीमा कार्यालय जाकर मिल ले, वहां जाने पर साहब कार बनने के बाद की आपकी कार की एक रंगीन फोटो नही मिली हमने कहा की हससे ऐसा कहा ही नही गया, खैर मैं ले आता हूं , दस दिन और टल, फिर हम गऐ तो पता चला काम के दबाब में साहब कुछ फाईले घर ले गऐ हैं दो चार दिन बाद आर्इऐ, चार छ दिन बाद आपका एक जगह दस्तख्त ही नही हैं ,इसलिऐ फाईल आगे ही नही बढ पाई , हम दस्तखत कर आगे बढ गऐ इस बीच हमारी कार की इन्शेारेंस ही खत्म हो गया, इस वर्ष कलेम फीस 1000/ ज्यादा लगेगी, अगली बार जब कार्यालय गऐ तो हमारे कुछ बिगडे तेवर को बाबु ने ये कह कर दुरस्त कर दिया की सब हो गया हैं पर खाते में फंड न होने की वजह से आपका चेक नही बना हैं एक दो दिन में मैं आपका चेक बनवाकर फोन करता हूं, सप्ताह बीता हम फिर आफिस गऐ तो बाबू ने रिडायरेक्ट टू चेक बनाने वाली एक छबीली कि मैडम की तरफ कर दिया जिनका दो टूक जबाब था फंड अभी अभी आया हैं आप कल आईऐ .... खैर क्लेम के चार माह बाद कुल चालीस प्रतिशत खर्च की रकम मिल गर्इ,
दरअसल यह चार से चौबीस की व्यथा कथा इण्डियन बीमा की एक बडी कंपनी की हैं जिससे हम आप भविष्य के सपने सजाऐ बैठे हैं .......
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