हाय रे मूर्ति पूजा

आज सुबह बेड टी के अखबार में बैनर के साथ एक मंजे पत्रकार ने अपनी दंगाइ्र भाषा में पुरे शहर में धार्मिक उन्माीद जैसी स्थिती का जिक्र किया था जिसकी वजह शहर की एक गली के तिराहे पर लगी एक मूर्ति को किसी आदमी / जानवर द्वारा खण्डित कर दिया गया था , अनुयायी सडको पर निकल उतेजक बयानबाजी कर रहे थे, पुलिस प्रशासन का पुतला जला कर कुछ गमछाधारी गरिया रहे थे, कुछेक सडक पर चक्काा जाम कर अपनी ताकत दिखा रहे थे, पुरा तंत्र अस्त्‍ व्ययस्तह था, समाचार पढकर पिछले दिनो घर के पास खाली पडे मैदान में खडे किये गऐ एक छोटे बांस जिस पर लाल कपडे में लिपटे लटके नारियल और उसके नीचे रखे एक बेआकार बजरंगी रंग से पेन्टु किया गया बोल्डेर दिमाग को झकझोरने लगा..........


दरअसल मैं बचपन ( 35 साल पहले ) से ही नेशनल हाइवे 6 के बगल में लगे उस मैदान को देख रहा था तब न तो विशेष्‍ क्षैत्र विकास प्राधिकरण अता पता था और न ही नगर निगम का, इस क्षेत्र के लिऐ स्वाथस्थो शिक्षा रोजगार सडक पानी जैसी तमाम बुनियादी आवश्यपकताऐ स्वीयं जुगाड से चलती थी न प्रशासन का कोई दायित्व बनता था और न हमें अपने कोई अधिकार समझ आते थे , तमाम जगह खाली ही थी लोग झाडीया से घेर कर रहने का इतंजाम कर लेते थे, बस लोगो का गुजर बसर चलता था, इस खाली मैदान में रोज शाम को एक जवान आदमी कंधे में कपडे का लम्बाम बैग लटकाऐ आता था उसके साथ एक दो लोग भी होते थे, काफी देर तक जोर जोर से बात करते थे दिन ढलते चले जाते, समय के साथ उसके साथीयो की संख्यार बढती गई, इन्हीत लोगो ने बाद में यहां गारे मिटटी की एक झोपडी भी बना दी 15 अगस्तो व 26 जनवरी भी मनाई जाने लगी, हम लोग इसे यूनियन आफिस कहने लगे जिसके सामने एक बांस गढाकर एक छोटा सा चबुतरा बना दिया गया, जिस पर लाल झण्डाू फहराने लगा, रोज शाम भीड बढ जाती, उची आवाज में बाते करते और फिर मजदूर एकता जिन्दालबाद के नारे लगाते, और चले जाते, बच्चोत के लिऐ यह दिन भर खेल मैदान बना रहता, एक शराब व्यनवसायी की विधवा बहू ने बगल में ही दो पक्केि कमरे बनवा दिये जहां मजदूरो के बच्चो के लिऐ पढाई जैसी बाते की जाने लगी, उम्र के साथ हमें भी समझ में आ गया की यह आदमी मार्क्सर विचारधारा से प्रभावित था और असंगठित मजदूरो को एक जुट कर उनके जीवनस्तीर को सुधारने की प्रक्रिया के लिऐ सर्म्पित था, बाद में वह लम्ब्रेउटा और कुछ समय के बाद एल एम एल वैस्पा से आने लगा पैदल वाले मजदूर भी सायकल और कुछेक लुना पर दिखने लगे इस आदमी पर आरोप भी लगे की वह संगठन के लोगो से एक रूपये का सदस्य ता शुल्क लेकर हजम कर जाता था ,पर कुछ लोग उससे काफी प्रभावित भी थे संगठन की महिलाऐ उसके कार्यशैली मशलन शराबखोरी के खिलाफ दी जाने वाली उसकी डांट और बच्चोथ को पढाने के लिऐ बनाऐ जाने वाले दबाब से खुश थी, समय के सा‍थ इस शक्स के बाल पके कमर झुकी फिर आना कम हुआ, दबी जुबान से लोग कहते हैं ये मजदूर अपने मालिको और सरकारी महकमें के खिलाफ अधिकार की बाते करने लगे थे इसके लिऐ इसे ही जिम्मेहदार मानते हुऐ, पुलिस और फैक्टेरी मालिको का अद़़श्यआ गठजोड की नजर में यह अपराधियो की श्रेणी में आ गया,समय समय पर इसको चमकाया भी गया पुलिस ने भी इसे नेतागिरी न करने की हिदायत दे डाली, इसी चक्केर में उसे पुरी एक रात हवालात में भी गुजारी, समय के सा‍थ लोगो का आना कम हुआ बरसात और हवाओ के साथ मैदान को समेटने वाले अवसरवादियो गरीबकिस्म के भूमाफियो ने हवा बरसात का साथ देते हुऐ यूनियन आफिस और स्कूेल को भी टिकने नही दिया तमाम संगठन धाराशाही होकर मिटटी में मिल गया, स्कूयल जमीन सत्ताव से जुउे एक नगर निगम के दलाल ने अपने कब्जेश में लेकर अवैध इमारत खडी कर दी, और नेशनल हाइवे से लग कर करोडो की इस जमीन पर एक सडक छाप नेता के तीन चार टुटे ट्रक खडे होने लगे बच्चो के खेलने पर भी अकुंश लग गया, इस बेशकिमती जमीन पर सिर्फ निगम प्रशासन के अलावा सबकी नजर हैं, इस ट्रक मालिक के अलावा, दो पत्नी यो से सात बच्चे के पिता एंव एक हिन्दूलवादी संगठन के एक दंबग ने भी पिछले दिनो इस मैदान में बाल ब्रहमचारी हनुमान जी का मंदिर बनाने के नाम पर एक बोल्डबर को लाल रंग करके रख दिया हैं
उल्लेलखनीय हैं कि दिन ढलते ही राह चलते लोग और आस पास के बस्ती वाले इसी जगह दिशा मैदान निपटाते हैं...............सुअर और कुत्ते भी यहां .............
सतीश कुमार चौहान , भिलाई


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मजदूर आँदोलन इसी तरह कुचले जाते हैं ,, लाल रंग का इस तरह भी उपयोग होता है , पत्थर बेचारा क्या करे

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