मिलावट भष्टाचार पर संगोष्ठी
खर्च करके ही इन्सान कमाना सीखता है, और इसके लिऐ मेहनत जरूरी हैं जो देश और समाज दोनो के लिऐ आवश्यक हैं सरकार का काम बुनियादी आवश्यकताओ को सुचारू व सुनिश्चित करना हैं वोट बैंक के नाम पर सरकारी लंगर चलाना मक्कारी को जन्म देता हैं, आज जिस वेतन पर पिता कार्यमुक्त हो रहा हैं बेटा उसी वेतन पर नौकरी की शुरूवात कर रहा हैं इसलिऐ मंहगाई की बाते बेमानी हैं, उपरोक्त विचार मुक्तकंठ साहित्य समिति भिलाई द्वारा खुर्सीपार में आयोजित मिलावट, मंहगाई और मैं विषय पर संवाद गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुऐ समालोचक सतीश चौहान ने कहे, मुख्य अतिथि अरूण अग्रवाल के अनुसार विवेक और संस्कार के उपयोग से ही इन समस्याओ पर अंकुश लगाया जा सकता हैं , गोष्ठी में डा रविन्द्र पाटिल ने मिलावट के लिऐ सरकार की इच्छाशक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगाया और परीक्षण प्रयोगशाला की कमी को मुख्य कारण बताया,इसी तारतम्य में डी एन यादव ने मंहगाई को निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया बताया, मिलावट पर मीडिया की दरोगागिरी को सराहनीय बताया, उमेश दीक्षित के विचार में मंहगाइ को कोस कर लोग राजनीति कर रहे हैं, मिलावट करने वालो में डर न होना चिन्ता का विषय हैं, अधिवक्ता ओम प्रकाश शर्मा ने सूचना के अधिकार पर आम लोगो के बेरूखी का खामियाजा ही मिलावट की वजह हैं, और बढती मिलावट से समस्त मानवता खतरे में आ गई है, सत्यवान नायक ने सरकारी योजनाओ का राजनीतिकरण व अवसरवाद को मंहगाई मिलावट की वजह बताया नौकरीपेशा की अपेक्षा सूदूर अभाव की जिन्दगी जी रहे लोगो को इसकी कीमत चुकानी पडती हैं ,शरद पंचाल ने मिलावट को रोकने के लिऐ हर जिले में लैब स्थापित किये जाने पर बल दिया, कवि एम एल वैद्वय, शायर नाशिर खोखर व रियाज खान गौहर ने कविता के माध्यम से इन विषयो पर अपनी चिन्ता व्यक्त की, राधेश्याम सिन्दुरिया ने मिलावट के लिऐ लालच व अज्ञानता को मुख्य कारण बताया शायर डा संजय दानी ने मंहगाई और मिलावट की गिरोहबंदी में शासन प्रशासन की भूमिका के उदाहरण प्रस्तुत किये , कवि मुथ्थुस्वामी व डा नौशाद सिद्रदकी ने मिलावट के नाम पर स्वास्थ के साथ हो रहे खिलवाड को अक्ष्मय अपराध बताया, इस संवाद गोष्ठी के बाद कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसमे उपस्थित रचनाकारो द्वारा रिमझिम वर्षा में पावस गीतो का पाठ किया गया जिसका संचालन नीता कम्बोज द्वारा किया गया ,
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